क्या कभी आप "Booster" बने हैं ?

हाँ, तो क्या आप कभी बूस्टर बने हैं ? नहीं तो फिर अब बन जाइए। आपके आस पास नजर दौड़ाइये क्या कुछ लोग ऐसे नजर आते हैं। जिन्हें देखकर आपको महसूस हो "वाकई ये अच्छा काम कर रहे हैं" हो सकता है आप भी इन लोगो में से हों। और हो सकता है आप ये भी जानते हो कि कुछ अच्छा करने के लिए व्यक्ति को हमेशा अपने दायरे को बढ़ाना पड़ता है। कोई अच्छा काम कम्फर्ट जोन को तोड़कर ही किया जा सकता है जो अतिरिक्त ऊर्जा या एक्स्ट्रा एफर्ट मांगता है। तो बात ये है कि कई बार अच्छा कार्य करने वाले व्यक्ति के पास इस अतिरिक्त ऊर्जा की कुछ कमी हो जाती है क्योंकि आखिर वो भी एक इंसान है। इस कमी की पूर्ति कईबार बहुत छोरी-छोटी बातों या प्रोत्साहन से की जा सकती है। जैसे झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को पढ़ाने जाने वाली एक रिटायर्ड शिक्षिका' जब अतिरिक्त शारीरिक श्रम के कारण इस अच्छे कार्य को करने के लिए निरुत्साहित हो गई तभी एक घटना ने उन्हें फिर से प्रेरित किया । हुआ ये था कि झुग्गी झोपड़ी बच्चा खेलते समय पास के नाले में गिर गया और भीग गया जब उसे शिक्षिका द्वारा नहाकर कपड़े बदलने के लिए कहा गया तो उसका जवाब था मेरे पास दूसरे कपड़े है ही नहीं | इस घटना ने शिक्षिका को फिर से प्रेरित कर दिया कि वह शिक्षा द्वारा इनके जीवन को कुछ हद तक गरीबी के इस दुष्चक्र से बाहर निकालने का प्रयास कर सकती है। इसी प्रकार कई लोग इस तरह के छोटे-बड़े अच्छे कार्यों में संलग्न रहते हैं जिन्हें भी समय-समय पर अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए आपसे यही गुजारिश है ऐसे लोगों के उत्साहवर्धक बनिए, उनके काम को मूल्य दीजिए क्योंकि ये इनके लिए प्रेरणा के रूप में नई ऊर्जा का स्रोत बन सकती । अच्छे कार्य की परिणति या परिणति का भरोसा कर्ता को नवीन ऊर्जा देता है। वैसे भी आप जानते ही हैं ऐसे लोगों की संख्या कम है तो इस संख्या को बनाये रखने तथा बढ़ाने के लिए बूस्टर बनिए। आप कुछ उदाहरणों से बूस्टर बनने के तरीके सिख सकते हैं जैसे ○ट्रैफिक सिग्नल पर कड़ी धूप में तैनात पुलिस अधिकारी से उसकी मुस्तैदी के लिए शुक्रिया कहना । ○सरकारी बैंक में उस कर्मचारी से यह कहना कि "आपका विनम्र स्वभाव अच्छा लगा" ताकि वो काम की जद्दोजहत में कई अन्य कर्मचारियों की तरह बेरूखा न बन जाये । ○उस शिक्षक को सम्मान देना जो आपको पढ़ाने में अतिरिक्त ऊर्जा निवेश करता है। ○ऐसे चाय विक्रेता को तवज्जो देना जो कड़कती सर्दी में बेघर गरीब लोगों को कई बार मुफ्त में चाय पिला देता है। आप अपना कार्य पूरी तल्लीनता से करने वाले ऐसे लोगों को सिर्फ एक विनम्रता भरी मुस्कान से भी प्रोत्साहित कर सकते हैं।

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