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कुछ पंक्तियाँ

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समुद्र सी विशाल बन जिसका कोई किनारा नहीं, जिसका कोई सहारा नहीं कोई नदी मिले न मिले, अपना वजूद कायम तब भी रख किसी बारिश पर निर्भर नहीं रह, स्वयं को विस्तार दे कोई नहीं हो तब भी अपनी मस्ती में मगन रहना सीख सबके साथ खिल खिला लेकिन, साथ का इंतज़ार न कर तू चल, बस चलती जा, मंज़िल जरूर आएगी ये राहे भी कहाँ बुरी है, बस इनके मोह में न पड़ बहुत दूर जाना है तुझे, अपने आप को संभाल अपनी कमजोरियों से डटकर लड़, इनमें समय ज़ाया न कर तू अकेली नहीं है बहुत से सपने,बहुत सी उम्मीदें संग है तेरे याद रख तेरा मकसद, ये जीवन, ये समय इन व्यर्थ की बातों में न उलझा आगे बढ़, आगे बढ़ समुद्र सी विशाल बन