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अपनी भूमिका खुद चुनें

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  आज शुरुआत एक कहानी से करते हैं या कहें कि आज सिर्फ कहानी...।   एक व्यक्ति जंगल से गुज़रता है तभी उसे एक लोमड़ी दिखाई देती है जो पूरी तरह अपाहिज और लाचार नज़र आती है। वह सोचता है की ये लोमड़ी जीवित कैसे होगी ? वो वहीं रुक कर देखता है। कुछ समय बाद वो देखता हैं कि एक शेर अपने शिकार से साथ आता है और शिकार का कुछ हिस्सा लोमड़ी के लिए छोड़कर चला जाता है। वह आश्चर्यचकित रह जाता है कि शेर लोमड़ी को कोई नुकसान नहीं पहुँचाता साथ ही उसे भोजन भी उपलब्ध कराता है। इसके बाद वह जंगल में ही रहने का मन बना लेता है और सोचता है कि भगवान जैसे इस लोमड़ी के लिए भोजन का इंतज़ाम करतें हैं उसी प्रकार मेरे लिए भी करेंगें। मेरे जीवन की व्यवस्था भगवान जरूर करेंगें।   इसके बाद वो इंतज़ार करता रहता है और दिन बीतते जातें हैं। दो दिन तक कोई नहीं आता अब वो एकदम कमज़ोर हो जाता है फिर भी सोचता है भगवान अवश्य कुछ करेंगे। अगले दिन एक संत जंगल से गुजरते हैं और उस व्यक्ति पर उनकी नज़र पड़ती है। संत उसके पास जाकर उससे सब माज़रा पूछते हैं। संत मुस्कुराते हैं और कहतें हैं कि भगवान ने तुम्हे ग्राही नहीं दाता की भूमिका दी है। तुम