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Showing posts from June, 2016

हिन्दुस्तानी हैं हम, हिन्दुस्तानी हैं..........................

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हिन्दुस्तानी हैं हम, हिन्दुस्तानी हैं..........................| ये एक पुराने विज्ञापन का थीम सोंग है शायद आप मे से कुछ को याद हो | जिसमें एस भारतीय जोड़ा तोहफे के रैपर (चमकीली पन्नी) को भी संभाल कर रखता है | मुझे तो बस इतना ही याद है और शायद यही पर्याप्त भी है |       यंहा मै यह कहना चाह रही हूँ की चीजो को पूरी तरह से उपयोग करना या कहें की बर्बाद न करना हम भारतियों की पहचान है | हालाँकि आज हमने इसे छोटे नजरिये से देखना शुरू कर दिया है |       आजकल हमारी प्रकृति कुछ एसी हो गई है की हम कोई वस्तु बिगड़ने पर उसे सुधरवाने की जगह नई लेना पसंद करते हैं | चाहे फिर वो एक साधारण सा पेन हो (जिसमे रिफिल डाली जा सकती है) या कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट(मोबाइल,लैपटॉप,पंखा आदि), हम उसे सस्ते में बेचकर या कचरे में फेककर तुरंत नया ले आते हैं |       लेकिन इसमें गलती सिर्फ हमारी नही है | इसके लिए हमारी व्यस्त दिनचर्या के साथ-साथ कुछ और बातें भी जिम्मेदार हैं | पहली बात, वस्तुएं ही एसी आ रही हैं जिन्हें सिर्फ एक बार उपयोग कर फेकने की सिवा कोई विकल्प नही होता (पेन,टिशु पेपर,डिस्पोजल आदि) | दूसरी बा

अब किताबें और आत्मकथा पढ़ना आसान

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महान विभूतियों की आत्मकथा ( ऑटो-बायोग्राफी ) पढ़ने से हमें यह जानने का मौका मिलता है की उनकी सफ़लता या महानता के पीछे आखिर उनका संघर्ष व त्याग क्या रहा | और हम प्रेरित होतें हैं कठिनाइयों से लड़कर लक्ष्य प्राप्त करने के लिए |       इसलिए कहतें हैं यदि अपने जीवन के उतार-चढ़ाव से थक गए हो और दूसरों की उपलब्धि पर इर्ष्या हो रही है तो पहले उन उपलब्धियों के पिछे का संघर्ष देखो, देखो की किन- कीन परिस्थितियों से गुजराना पड़ा उन्हें |       तो रही बात आत्मकथा पढने की तो हम जैसे व्यस्त लोगों के लिए यह मुनासिब नही हो पाता की हम पहले तो पढने का विचार लायें (जो खुद अपने आप में बड़ी बात है) फिर उस पुस्तक पर रुपये खर्च करें फिर उसे साथ-साथ लेकर जाने की फजीहत ताकि जब, जहाँ समय मिले हम इसे पढ़कर समय गुजार (टाइम-पास) सकें | और बड़ी बात की इस समय पर तो हमने पहला और अंतिम हक़ अपने जान से प्यारे मोबाइल फ़ोन क्या दिया हुआ है क्या उसे बुरा नही लगेगा |       तो अगर वाकई में आपका मन है इस तरह की किताबें या नावेल आदि पढने का तो एक आपके मतलब का उपाय है की आप उससे सम्बंधित एप्लीकेशन (app) डाउनलोड कर लें जिनमे

AFEIAS युवाओं के लिए मददगार संस्थान

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आज के प्रतोयोगिता के दौर में सबसे बड़ी समस्या एक उच्च शिक्षित युवा की ज़िन्दगी है | क्यूंकि वो तथाकथित डिग्री धारी है तो कोई कुछ भी करें लेकिन उसे तो वाइट कॉलर नौकरी ही ढूढनी पड़ेगी चाहे उसकी दिली इच्छा व्यापर की हो या किसी और की | साथ ही समय का दबाव अलग से बिचारा आधा बुढ्ढा तो हो गया पढाई पूरी करने में लेकिन अब भी उसे भागना ही है उस रेस में जो कभी ख़त्म नही होने वाली |       इस रेस को जल्दी जीतने के लिए हम सहारा लेते हैं कोचिंग संस्थानों का ताकि प्रतियोगिता परीक्षा के चक्रव्यूह को जल्दी ध्वस्त को कर पायें जो एक हिसाब से आज की जरुरत बन गया है |       लेकिन कोचिंग संस्थानों के भ्रामक विज्ञापन तथा धोखे-बाजी से बचना भी जरुरी है | इसलिए इनका चुनाव बड़े ही सोच-विचार से करना चाहिए |       सबसे अच्छा तरीका हो सकता है यूटयूब पर डेमो लेक्चर देखो और फिर विचार करो की इनका पढ़ाने का तरीका आपको जंच रहा है या नही, पिछले स्टूडेंट्स के फीडबैक देखो | साथ ही आपकी आर्थिक स्तिथि ध्यान में रखते हुए मुफ्त किन्तु स्तरीय या कुछ छूट वाली संस्थाओं के बारे में भी खोजना चाहिए |       ऐसी ही एक संस्था( AFE