ज़िन्दगी के उसूल
हर व्यक्ति के कुछ मूल्य होते हैं कुछ उसूल होते हैं जिनके आधार पर वह जीवन जीता है। ये साधारण सी बात है और अच्छी भी पर क्या होता है जब आप अपने उसूलों के आधार पर दूसरों को आँकना(जज करना) शुरू करते हैं, वो भी लोगो के बाह्य स्वरूप या उनकी कुछ आदतों के आधार पर। ये कहाँ तक सही है ? सही गलत के फैसले के लिए मैं अपने कुछ अनुभव साझा करना चाहूँगी। मै और मेरी दोस्त पढ़ने के लिए एक बड़े शहर में गए और हम छोटे शहर के मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। हम वहाँ जिस जगह रहते थे उसमें आठ से दस लड़कियाँ थीं । सभी काफी अलग थीं हमें वहाँ शुरू में काफी अजीब लगता था उन लड़कियों का पहनावा उनके द्वारा फ़ोन पर लड़कों से बात करना और हम तो हतप्रभ रह गए जब उन्होंने हमसे पूछा तुम्हारा bf है ? ये सवाल जैसे हम पर वज्र की तरह गिरा, ऐसा लगा जैसे किसी ने हमारा अपमान कर दिया हो । आखिर वो हमें ऐसा कैसे समझ सकतें हैं ? "ऐसा" क्या मतलब है इस शब्द का क्या सोचते थे हम उन लड़कियों के बारे में, कभी तो ये गाना गाते थे हम अपनी स्थिति पर की "ये कहाँ आ गए हम.." मतलब साफ था अपने पैमाने , अपनी सोच के आ