कुछ कठोर सवाल...
हम आज एक समस्या पर कुछ सवाल दागेंगें लेकिन उसके लिए पहले समस्या का ज़िक्र जरूरी है। ये समस्या वो है जिसका नाम लेने में भी हमें शर्म महसूस होती है "बलात्कार"! तो, कोई ऐसा कर कैसे सकता है समझ से परे है। इस समस्या के लिए दोषियों से ज्यादा लड़की की लापरवाही, उसके अकेले निकलने, यहाँ तक कि उसके पहनावे हर बात को कोसना खत्म हो गया हो तो आगे बात करते हैं। हम यहाँ समस्या के एक पहलू को ही उठाएंगे ताकि एक ही बात का विश्लेषण अच्छे से कर सकें। इसलिए हम समस्या के अन्य कारणों का ज़िक्र यहाँ नहीं कर रहे हैं लेकिन जो कारण यहाँ लिया जा रहा है वो भी अपने आप मे कम नहीं है, बशर्ते आप ईमानदारी से मंथन करें। हाँ, तो क्या कोई इंसान सच में दरिंदों की तरह व्यवहार कर सकता है ? क्या उनके दिल में ज़रा भी रहम नहीं आता ऐसा कुकृत्य करते वक्त ? अपने आस-पास घर में, चौराहे पर, सड़कों पर, बाज़ारों में,लोगो की अच्छी-बुरी हर तरह की नागाहों से सामना हुआ है मेरा,और यकीनन हर लड़की का हुआ होगा। इनमें से बुरी निगाहों की तीव्रता में अंतर समझ आता है । लेकिन इनमें से ज्यादातर निगाहें अंधेरा होने प