परिवर्तन प्रकृति का नियम है।

ये बात मैने एन. रघुरमन के मैनेजमेंट फंडा में पढ़ी थी कि उनकी माँ ने उन्हें बताया था कि व्यक्ति का सबसे महत्वपूर्ण अंग उसका कंधा होता है। क्योंकि हर व्यक्ति के पास कन्धा होता ही है चाहे वह नेत्रहीन हो, अपंग हो या कैसा भी व्यक्ति हो। कंधे के महत्वपूर्ण होने के पीछे वजह ये है कि कंधा दूसरों को सहारा दे सकता है चाहे आपको शारीरिक सहारे की आवश्यकता हो या मानसिक । जब आप बहुत निराश होते हैं कोई आपके कंधे पर हाथ रखे तो आपको कुछ साहस मिलता है, अगर आप किसी वजह से बहुत भावुक हैं तो किसी के कंधे पर सर रखकर आप मन हल्का कर सकते हैं, आप कुछ पल सुकून से बिताना चाहते हैं, रिलेक्स होना चाहते हैं तब भी कन्धा आपके लिए सहारा बन सकता है। तो इस तरह मनुष्य के जीवन मे कन्धा सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जा सकता है। तो आपके जीवन में भी कोई न कोई व्यक्ति आपके लिए कंधे की तरह ही महत्वपूर्ण होंगे। ऐसे व्यक्ति के बारे में क्या आपको कभी ऐसा लगा है कि वो आपसे दूर जा रहा है या कोई आपका करीबी व्यक्ति आपसे कुछ दूर हो रहा है। अब वो आपसे ज्यादा बात नहीं करता, आपसे हर बात साझा नहीं करता, अपने निर्णयों में आपसे राय-मशवरा नहीं करता। कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है कि उसकी खुशी के कुछ पल में वो आपको देर से शामिल करें या न भी कर पाए, तो आपको लगने लगता है कि ये क्या हो रहा है? क्यों सब बदल रहा है, पहले तो ऐसा नहीं था। आपको लगने लगता है धीरे-धीरे सब बदल रहा है दोस्ती, भावनाएँ अब वैसी नहीं रही जैसी पहले हुआ करती थी। ऐसा महसूस होने पर आप भी खुद को उससे दूर करने लगते हैं ये सोचकर कि सामने वाला दूर हो गया है। पर जरा रुकिए सम्भालिए खुद को, ठीक है हो सकता है कुछ चीजें बदल भी रहीं हो, कुछ तरीके भी बदल रहें हो, आपको इसके कारण बुरा लग रहा हो, अकेला महसूस हो रहा हो,पर आपका दोस्त बदल रहा है ये मानने से पहले जरा ये याद कीजिए कि क्या वो दोस्त आपको अब भी बुरे वक्त में याद कर रहा है ? यदि जवाब हाँ है, तो कुछ नहीं बदला है। जरा गौर कीजिए जब कोई व्यक्ति दुखी होता है, परेशान होता है, जब वो ऐसी स्थिति में होता है कि वो किसी से बात नहीं करना चाहता ऐसे मौके पर अगर वो व्यक्ति आपसे बात करना चाहता है। इस समय आपसे बात करके उसे अच्छा महसूस होता है, तो सोचिये आप उसके जीवन मे कितना महत्व रखते होंगे । खुशी बाँटने के लिए बहुत लोग मिल जाते हैं पर गम लोग बहुत कम लोगो के साथ बाँट पाते हैं। आप स्वयं गिन लीजिए ऐसे कितने लोग हैं आपकी सूची में, जिनसे आप अपने बुरे दिनों में बात करना चाहते हैं सब कुछ साझा करना चाहते हैं, 2 या 3 से ज्यादा शायद ही होंगें। तो, छोटी-छोटी बातों में सोच विचार करना छोड़िये और खुश रहिये की आपके पास ऐसा कोई है जो आपके बुरे वक्त में आपके साथ हो और उसके बुरे वक्त में आप उसके साथ हो। जीवन के बहाव के साथ आगे बढिए, उसकी गति के साथ तालमेल बनाइए। परिवर्तन को स्वीकार कीजिये और उसके साथ आगे बढ़ना सीखिए क्योंकि परिवर्तन प्रकृति का नियम है।

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