क्या कभी आप "Booster" बने हैं ?
हाँ, तो क्या आप कभी बूस्टर बने हैं ? नहीं तो फिर अब बन जाइए। आपके आस पास नजर दौड़ाइये क्या कुछ लोग ऐसे नजर आते हैं। जिन्हें देखकर आपको महसूस हो "वाकई ये अच्छा काम कर रहे हैं" हो सकता है आप भी इन लोगो में से हों। और हो सकता है आप ये भी जानते हो कि कुछ अच्छा करने के लिए व्यक्ति को हमेशा अपने दायरे को बढ़ाना पड़ता है। कोई अच्छा काम कम्फर्ट जोन को तोड़कर ही किया जा सकता है जो अतिरिक्त ऊर्जा या एक्स्ट्रा एफर्ट मांगता है। तो बात ये है कि कई बार अच्छा कार्य करने वाले व्यक्ति के पास इस अतिरिक्त ऊर्जा की कुछ कमी हो जाती है क्योंकि आखिर वो भी एक इंसान है। इस कमी की पूर्ति कईबार बहुत छोरी-छोटी बातों या प्रोत्साहन से की जा सकती है। जैसे झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को पढ़ाने जाने वाली एक रिटायर्ड शिक्षिका' जब अतिरिक्त शारीरिक श्रम के कारण इस अच्छे कार्य को करने के लिए निरुत्साहित हो गई तभी एक घटना ने उन्हें फिर से प्रेरित किया । हुआ ये था कि झुग्गी झोपड़ी बच्चा खेलते समय पास के नाले में गिर गया और भीग गया जब उसे शिक्षिका द्वारा नहाकर कपड़े बदलने के लिए कहा गया तो उसका जवाब था मेरे