छोटी-छोटी खुशियाँ
एक शाम हल्की बारिश हो रही थी की तभी अचानक बिजली चली गई। घर में मैं , मम्मी मेरे बड़े भैया और ममेरी बहन थे। हमारे मोबाइल और पावर बैंक सभी मे चार्ज़िंग कम थी और बारिश के चलते बिजली देर से आने का अनुमान था। आज आप लोगो को लग रहा होगा जैसे मै कोई उपन्यास लिखने बैठ गई हूँ । माफ़ कीजियेगा इस किस्म के वर्णन का इरादा नहीं था लेकिन जो मैं कहना चाह रही हूं उसके लिए थोड़ा बैकग्राउंड बताना जरूरी था। तो चलिए आगे चलते हैं । हम सब बरामदे में कुर्सी लगाकर बैठ गए जहां बारिश की हल्की फुहार और मिट्टी की सौंधी खुशबू वाली हवा आ रही थी। आप कहेंगे मै फिर शुरू हो गई । लेकिन ज़रा गौर कीजिए कि जब आप अपने इलेक्ट्रॉनिक गेजेट्स ख़ासकर मोबाइल से दूर रहते हैं तो छोटी-छोटी चीजों को महसूस कर पाते हैं अन्यथा तो बारिश के छीटें कब आकर चले गए आपको आभास भी नही होगा। हाँ, तो बरामदे में बैठे हुए हम चारों ने सोचा कि चलो कुछ खेलते हैं । हमने "सी ओला ओला " से खेल शुरू किया जिसकी लाइने सिर्फ मुझे याद थी । शायद आप लोग खेल पहचाने नही होंगे । मैं थोड़ा बता दूँ की इसमें हम एक-दूसरे की हथैली पर हथैली रखते हैं कुछ