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Showing posts from May, 2019

अच्छाई पर भरोसा और उसकी कद्र...आप करतें है ?

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वैसे आपका जवाब क्या है ? "हाँ ", ज़रा ठीक से सोचिए यकीनन "हाँ " । अच्छा चलिए आपकी बात मान लेते हैं, वैसे आज यही(मानना) विषय भी है जो आप आगे समझ जाएंगे।        क्या आपने कभी महसूस किया है कि ये व्यक्ति(मतलब सामने वाला व्यक्ति) अच्छे होने का अभिनय कर रहा है, या शायद इसका मन्तव्य कुछ और है भले ही वो मंतव्य आपके समझ न आ रहा हो। मेरा ख़याल है कभी-न-कभी आपको जरूर ऐसा महसूस हुआ होगा। ऐसा दरअसल होता क्यों है ? क्योंकि हम कई बार ऐसे मीठे बोलने वाले लोगों के झांसे में आकर धोका खाये हुए होतें हैं या इस तरह के किस्सों से वाकिफ़ होते हैं जिनमे विलन मीठी छुरी की तरह होते हैं।   तो, ये बातें हम कर क्यों रहे हैं ? क्या आपको नहीं लगता कि आपकी इस तरह की मानसिकता( ऊपर वर्णित) अच्छाई से भरोसा उठता हुआ दर्शा रही है। इससे सिध्द होता है कि कहीं-न-कहीं आप ये मानते हैं कि कोई इतना अच्छा कैसे हो सकता है ? इसकी निःस्वार्थ मदद के पीछे भी शायद कोई स्वार्थ छिपा है।           मेरा ये कहना है कि हो सकता है कि कुछ लोग वाकई में मीठी छुरी होतें हैं लेकिन क्या इसकी सज़ा हम बाकियों को भी देंगे ज

मेहनत का घड़ा

  देखिये इसकी भूमिका में पिछले ब्लॉग में दे चुकी हूँ, तो उसे भी ध्यान में रखिएगा। आपकी ज़िंदगी मे कितनी समस्याएँ हैं ना परिवार, नौकरी, रिश्ते, असफलताएं आदि आदि अनिश्चितता से भरा जीवन। सबसे बोझिल और कॉम्प्लिकेटेड(जटिल) अपनी ही ज़िन्दगी लगती है, हेना ?   लेकिन मेरा मानना है कि ऐसा लगभग लगभग सभी को लगता है। मतलब की सभी की ज़िंदगी मे समस्याएं हैं भले ही अलग अलग स्वरूप में जैसे परिवार की, स्वास्थ्य की, नौकरी की या इन सब की मिलीजुली । सभी को लगता है उनकी समस्या सबसे बड़ी है।   दरअसल, ज़िन्दगी हर कदम इक नई जंग है... यदि ये नहीं तो कोई और समस्या आ जाएगी। और सच पूछिए तो उनका आना मुनासिब भी है क्योंकि जैसे इंसान के पाप के घड़े वाली कहानी आपने सुनी होगी वैसे ही मेरा मानना है कि इंसान का मेहनत का घड़ा भी होता है। जैसे जैसे आपका मेहनत का घड़ा भरता जाएगा सफलता आपके करीब आती जाएगी। तो ये मुश्किलें तो आपका घड़ा जल्दी भरने में मददगार हुई ना । जितनी ज्यादा मुसीबत आप देखोगे आपका मेहनत का घड़ा उतना जल्दी भरेगा। साथ ही कई बार ऐसा भी होता है कि बहुत मेहनत के बाद भी हमे सफलता नहीं मिलती तब भी मेहनत का घड़े पर यकी

छात्र जीवन मे हीरोपंती...

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   कभी-कभी हमें महसूस होता है कि ज़िन्दगी में सारी समस्याएं एक साथ टूट पड़ी हैं और खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही। लगता है जैसे सब कुछ करते हुए भी हम कुछ नही कर पा रहे और पता नही क्यूँ इन असफलताओं के स्वयं के बोझ के साथ-साथ अपेक्षाओं का बोझ बढ़ता जा रहा है।   तब लगता है जैसे परिवार को समझ क्यों नही आता कि उनसे ज्यादा हम पर बीतती है दिन-रात मेहनत के बाद असफल होने में भला किसे मज़ा आता होगा? क्या हम तैयारी करने वालों से ज्यादा हमे तैयारी करते देखने वाले ज्यादा थक गए हैं? तो फिर कैसे वो अपना ज्ञान झाड़ कर हमारी ज़िंदगी पर सवाल दाग गायब हो जाते हैं। तो क्या कर सकते हैं हम ऐसी परिस्थिति में ? जवाब सवाल जितना ही जटिल है। हमे सारी चीजों को गौर से देखना चाहिए और इन सब से परे हटकर निरीक्षण करना चाहिए कि आखिर हो क्या रहा है ? किसी फिल्म जैसा नहीं लग रहा ?   दरअसल जब आप सफलता के बहुत क़रीब होते हो तो समस्यायों की संख्या और तीव्रता दोनों बढ़ जाती है। एक महिला तैराक जो इंग्लिश चैनल पार कर रही थी किनारे से सिर्फ कुछ मीटर दूरी पर हार मान गई यदि वो एक बार ओर दम भर लेती तो रिकॉर्ड बनाती। इसी तरह सफलत